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कहिए कि क्या बात है / लाल्टू
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07:41, 24 मई 2010
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<poem>रोशनी में दिखती हर चीज़ साफ है, पर कहने को बात होती इक रात है
सुध में जुबां चलती लगातार है, जरा सी पी ली तो कहिए कि क्या बात है
अनिल जनविजय
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