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|संग्रह=
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{{KKCatKavita‎}}<poem>रोशनी में दिखती हर चीज़ साफ है, पर कहने को बात होती इक रात है
सुध में जुबां चलती लगातार है, जरा सी पी ली तो कहिए कि क्या बात है
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