|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<poem>जाड़े की शाम
कमरा ठंडा ठ न् डा
इस वक्त वक़्त यही खबर ख़बर है
- हालाँकि समाचार का टाइम हो गया है
कुछेक खबरें ख़बरें पढ़ी जा चुकी हैं
और नीली आँखों वाली ऐश्वर्य का ब्रेक हुआ है
है खबर ख़बर अँधेरे की भी
काँच के पार जो और भी ठंडा
थोड़ी देर पहले अँधेरे से लौटा हूँ
डर के साथ छोड़ आया उसे दरवाजे दरवाज़े परयहाँ खबर ख़बर प्रकाश की जिसमें शून्य है
जिसमें हैं चिंताएं, आकांक्षाएँ, अपेक्षाएँ
अकेलेपन का कायर सुख
और बेचैनी……बेचैनी...
……...इसी वक्त वक़्त प्यार की खबर ख़बर सुनने की
सुनने की खबर ख़बर साँस, प्यास और आस की
कितनी देर से हम अपनी
खबर ख़बर सुनने को बेचैन हैं।</poem>