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मौत तू एक कविता है / गुलज़ार
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13:48, 26 मई 2010
डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे
ज़र्द सा चेहरा लिये जब चांद उफक तक
पहुचे
पहुँचे
दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब
ना अंधेरा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दिन
मिथ्यावादिनी
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