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औरत / मुकेश मानस
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15:08, 26 मई 2010
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|रचनाकार=मुकेश मानस
|संग्रह=पतंग और चरखड़ी / मुकेश मानस
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<poem>
'''औरत'''
झाडू लगाते-लगाते
एक जीती
-
जागती औरत
झाड़ू में बदल जाती है
धीरे-धीरे
इस देश की
अनिल जनविजय
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