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आज फिर उद्देलित है
अरब सागर
सूअरों -कुत्तों की तरह फिर मारे जा रहे फिलिस्तीनी
लाल हो रही रक्त से फिर
गज़ा पट्टी  
'''रचनाकाल''' : 2009
</poem>
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