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भगवान के डाकिए / रामधारी सिंह "दिनकर"
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03:35, 29 मई 2010
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेड़, पौधे,
पनी
पानी
और पहाड़
बाँचते हैं।
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
पक्षियों की
पाँखों
पंखों
पर
तिरता
तैरता
है।
और एक देश का भाप
Aditi kailash
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