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इन सपनों के पंख न काटो / महादेवी वर्मा
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04:11, 29 मई 2010
मुक्त गगन में विचरण कर यह
तारों में फिर मिल जायेगा,
मेघों से
रँग
रंग
औ’ किरणों से
दीप्ति लिए भू पर आयेगा।
स्वर्ग बनाने का फिर कोई शिल्प
Aditi kailash
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