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ख़ामोशियों में भी कुछ शोर रहता है / अनामिका तिवारी
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14:35, 30 मई 2010
दो रोटियों में सिमटा वजूद
फिर किसमें
ढूँढू
ढूँढूँ
ख़ुद की पहचान।
</poem>
Aditi kailash
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