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|रचनाकार=ग़ालिब|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
कि शब-रौ<ref>रात का राही</ref> का नक़्शे-क़दम देखते हैं
बनाकर बना कर फ़क़ीरों का हम भेस ग़ालिब
तमाशा-ए-अहले-करम<ref>दानियों का तमाशा</ref> देखते हैं
</poem>
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