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आँसू / जयशंकर प्रसाद / पृष्ठ १
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17:09, 29 अप्रैल 2007
दिखलाई देती लूटी।<br />
<br />
छिल छिल कर छाले
फाड़े
फोड़े
<br />
मल मल कर मृदुल चरण से<br />
धुल धुल कर बह रह जाते <br />
Anonymous user
202.153.38.4