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आँसू / जयशंकर प्रसाद / पृष्ठ २
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04:39, 30 अप्रैल 2007
तूलिका बरौनी तेरी<br />
कितने घायल हृदयों की<br />
बन जाती
चुतर
चतुर
चितेरी।<br />
<br />
कोमल कपोल पाली में<br />
चुगने की मुद्रा ऐसे?<br />
<br />
विकसित
सरजित
सरसित
वन-वैभव<br />
मधु-ऊषा के अंचल में<br />
उपहास करावे अपना<br />
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