Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विष्णु नागर |संग्रह=घर से बाहर घर / विष्णु नागर }} <…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विष्णु नागर
|संग्रह=घर से बाहर घर / विष्णु नागर
}}
<poem>
इतने बड़े आकाश में
कोई भी खो सकता था
मैं भी खो गया

और एक बार तो ऐसा लगा
मैं उसका एक तारा बन गया।
778
edits