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परिणति / सुमित्रानंदन पंत
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08:53, 4 जून 2010
सत्य बनी फिर फिर परछाँई,
तड़ित चकित उत्थान पतन
अनुभव
रजित
रंजित
यौवन!
अब ऊषा शशि मुख, पिक कूजन,
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