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07:39, 5 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= मदन कश्यप
|संग्रह= नीम रोशनी में / मदन कश्यप
}}
<poem>
कोयल मीठा गाती है
मगर अंडे नहीं सेती
बच्चे नहीं पालती
घोंसले नहीं बनाती
घोंसले बनाते हैं कर्कश कौवे
और पालते हैं अपने साथ कोयल के भी बच्चे
कोयल तो बस गाती है
कितना मीठा गाती है!