गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
सब ख़त्म हो गया / अलेक्सान्दर पूश्किन
103 bytes added
,
10:19, 5 जून 2010
अभी इस जीवन में तुझ से न जाने कितने प्रेम करेंगे
जाने कितने अभी मर मिटेंगे और तुझे देख आहें भरेंगे ।
'''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,747
edits