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उसूलों पे जहाँ आँच आये / वसीम बरेलवी
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16:58, 17 मई 2008
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उसूलों पे जहाँ आँच आये
ठकराना
टकराना
ज़रूरी है<br>
जो ज़िन्दा हों तो फिर ज़िन्दा नज़र आना ज़रूरी है<br><br>
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220.227.48.17