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बस गवैया / मुकेश मानस
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06:16, 6 जून 2010
यात्रियों को लुभा सके उसकी आवाज़
निकलें गीत पेट से उसके
आओ
बंध
बंधु
! दुआ करें
रचनाकाल : 1991
<poem>
अनिल जनविजय
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