गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है / वसीम बरेलवी
No change in size
,
17:02, 17 मई 2008
पहले ये तय हो कि इस घर को बचायें कैसे <br><br>
क़हक़हा आँख
की
का
बरताव बदल देता है <br>
हँसनेवाले तुझे आँसू नज़र आयें कैसे <br><br>
कोई अपनी ही नज़र से तो हमें देखेगा <br>
एक क़तरे को समुन्दर नज़र आयें कैसे <br><br>
Anonymous user
220.227.48.17