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न धरती पर / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
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09:16, 14 अप्रैल 2007
वो पछुआ हो कि पुरवा, गर्म आँधी सी लगी हमको
कभी शीतल
हवाआें
हवाओं
ने कहाँ हमको दुलारा है
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Dr.jagdishvyom