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खँडहर बचे हुए हैं, इमारत नहीं रही / दुष्यंत कुमार
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09:18, 9 जून 2010
हमने तमाम उम्र अकेले सफ़र किया
हमपर
हम पर
किसी ख़ुदा की इनायत नहीं रही
कुछ दोस्तों से वैसे मरासिम नहीं रहे
कुछ
दुशमनों
दुश्मनों
से वैसी अदावत नहीं रही
Thevoyager
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