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हाइकु / कमलेश भट्ट 'कमल'
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13:51, 9 जून 2010
गावों से लाता शुद्ध आक्सिजन भी वश न चला
।
भीड़ तो बढ़ी विरल हो चले है रिश्ते परंतु
रात होते ही गोलबन्द हो गये चान्द सितारे
डा० जगदीश व्योम
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