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हाइकु / कमलेश भट्ट 'कमल'
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13:52, 9 जून 2010
भीड़ तो बढ़ी विरल हो चले है रिश्ते परंतु
।
रात होते ही गोलबन्द हो गये चान्द सितारे
घिर गया है वैशैली लताओं से जीवन वृक्ष
डा० जगदीश व्योम
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