}}
{{KKVID|v=UV6y-KnaMPs}}
[[Category:ग़ज़ल]]{{KKCatGhazal}}
<poem>
तुझे खोकर भी तुझे पाऊं जहां जहाँ तक देखूंदेखूँहुस्न-ए-यज़्दां <ref>भगवान की सुन्दरता</Ref> से तुझे हुस्न-ए-बुतां <ref>बुत/मूर्ति की सुन्दरता </ref> तक देखूं
(हुस्न-ए-यज़्दां == beauty of God, हुस्न-ए-बुतां == beauty of idols) तूने यूं देखा है जैसे कभी देखा ही ना न थामैं तो दिल में तेरे क़दमों के निशां तक देखूंदेखूँ
सिर्फ़ इस शौक़ में पूछी हैं हज़ारों बातें
मै तेरा हुस्न तेरे हुस्न-ए-बयां तक देखूंदेखूँ
वक़्त ने ज़ेहन में धुंधला दिये तेरे खद्द-ओ-खाल<ref> यादें / सूरत </ref>यूं तो मैं तूटते तारों का धुआं तक देखूंदेखूँ
(खद्द-ओ-खाल == appearance)
दिल गया था तो ये आँखें भी कोई ले जाता
मैं फ़क़त <ref>सिर्फ़</ref> एक ही तस्वीर कहां कहाँ तक देखूंदेखूँ
(फ़क़त == only)
एक हक़ीक़त सही फ़िरदौस में हूरों का वजूद
हुस्न-ए-इन्सां से निपट लूं तो वहां वहाँ तक देखूंदेखूँ
</poem>
{{KKMeaning}}