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05:25, 10 जून 2010 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सर्वत एम जमाल
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<poem>
कितने दिन, चार, आठ, दस, फिर बस
रास अगर आ गया कफस, फिर बस
जम के बरसात कैसे होती है
हद से बाहर गयी उमस फिर बस
तेज़ आंधी का घर है रेगिस्तान
अपने खेमे की डोर कस, फिर बस
हादसे, वाक़यात, चर्चाएँ
लोग होते हैं टस से मस, फिर बस
सब के हालात पर सजावट थी
तुम ने रक्खा ही जस का तस, फिर बस
थी गुलामों की आरजू, तामीर
लेकिन आक़ा का हुक्म बस, फिर बस
सौ अरब काम हों तो दस निकलें
उम्र कितनी है, सौ बरस, फिर बस</poem>
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