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दर्द बयान हुआ / विजय वाते
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,
06:02, 11 जून 2010
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<poem>
जो बेईमान हुआ
|
।
उसका सम्मान हुआ
|
।
बेकार सत्य बोला,
नाहक अपमान हुआ
|
।
इंसान हुआ आबं,
व्यर्थ गुमान हुआ
|
।
रोटी मकान कपड़ा,
इतना सामान हुआ
|
।
चाहा पढ़ें कसीदे,
दर्द बयान हुआ
|
।
</poem>
अनिल जनविजय
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