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जिस जुबाँ पर चढ़ गयी अधिकार की भाषा / जहीर कुरैशी
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,
07:03, 11 जून 2010
पत्रिकाओं के जगत में चल नहीं पाती
खास
लहए
लहजे
में बँधी अखबार की भाषा
इन
प्रजा तन्त्रीय
प्रजातन्त्रीय
राजाओं की
चाउखट
चौखट
पर
फूलता
फूलती
-फलती रही दरबार की भाषा
ये महानगरीय जीवन का करिश्मा है
Ysjabp
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