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07:57, 14 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विष्णु नागर
|संग्रह=घर से बाहर घर / विष्णु नागर
}}
<poem>
सफल आदमी को आप और ज्यादा सफल होने से रोक नहीं सकते
उसे रोकेंगे तो वह रूकेगा नहीं
बल्कि जितना रोकेंगे, उतना ही ज्यादा
वह और तेजी से सफल होने लगेगा
और समय से बहुत पहले सफल होकर दिखा देगा
सच तो यह है कि इससे पहले कि आपको पता चले कि
वह और सफल हो चुका है
वह और-और सफल होने के लिए दौड़ना शुरू कर चुका होगा
आप कहेंगे कि जरा इस बेवकूफ से पूछो तो कि
उसने ये सफलता किस कीमत पर हासिल की है
तो वह कहेगा कि सफलता के लिए कोई भी कीमत कम है
यहां तक कि मौत भी
क्योंकि आदमी का पुनर्जन्म होता है
बाकी सफलताएं वह अलगे जन्म में हासिल कर सकता है