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बाल पहेलियाँ-7 / दीनदयाल शर्मा
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07:00, 15 जून 2010
खड़ा-खड़ा जो सेवा करता,
सबका जीवनदाता ।
बिन जिसके
ना
न
बादल आएँ,
बोलो क्या कहलाता ?
ऊँचा-ऊँचा जो उड़े,
ना
न
बादल
ना
न
चील ।
कभी डोर उसकी खिंचे,
कभी पेच में ढील ।।
अनिल जनविजय
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