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09:12, 16 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विष्णु नागर
|संग्रह=घर से बाहर घर / विष्णु नागर
}}
<poem>
ये दुनिया बिना बमों के चल नहीं सकती
इसे चलाने के लिए
जितने हैं उनसे बहुत-बहुत ज्यादा बम चाहिए
हिंदू बम चाहिए, मुस्लिम बम चाहिए
सुन्नी बम चाहिए, शिया बम चाहिए
बौद्ध बम चाहिए, जैन बम चाहिए
कैथलिक बम चाहिए, प्रोटेस्टैंट बम चाहिए
ब्राह्मण बम चाहिए, यादव बम चाहिए
पूंजीवादी और कम्प्युनिस्ट बम तो खैर हैं ही
भारत-पाकिस्तान बम भी हैं
अब कांग्रेस और भाजपा बम भी चाहिए
साऊथ और नार्थ बम भी चाहिए
यूपी बम चाहिए और एमपी बम भी चाहिए
यूं कहो कि बमाबम चाहिए
जितने बम होंगे उतना बमों का डर होगा
जितना उनका डर होगा, उतनी उनसे सुरक्षा होगी
तब खूब चलेगी ये दुनिया, खूब दौड़ेगी ये दुनिया
ये दुनिया, ये दुनिया, ये दुनिया, ये दुनिया
वैसे किसी ने यह भी कहा है न-
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है...