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बनाते हो बहाने अक्सर / विजय वाते
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|संग्रह= दो मिसरे / विजय वाते
}}
{{KKCatGhazal}}
एक हम हैं, कि तके जाते हैं,
रास्ते
रस्ते
अक्सर|<br>
एक तुम हो कि बनाते हो, बहाने अक्सर|<br><br>
द्विजेन्द्र द्विज
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