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एक नदी यह भी / मनोज श्रीवास्तव
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,
09:03, 21 जून 2010
कंकाल में बहने लगे हैं
सच, असंख्य
'''
धारवियाँ
'''
गंगाजमुना की कंकाली पिंजर में
आरम्भ से अंत तक प्रवाहमान हैं
जो कुछ यूं लगता है कि जैसे
Dr. Manoj Srivastav
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