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सच सूर्य है / रमेश कौशिक

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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=रमेश कौशिक|संग्रह=सच सूर्य है / रमेश कौशिक}}{{KKCatBaalKavita}}<poem>'''क्यों मरोगे'''<br /><br /> रचनाकार - रमेश कौशिक<br /><br /><poem>सच कहोगे<br />सच के सिवा कुछ न कहोगे<br />जानते हो <br />सच सूर्य है<br />कहोगे तो जल मरोगे<br /><br />सच के सिवा <br />सब कुछ कहोगे<br />जानता हूं<br />नाहक क्यों मरोगे।<br /><poem>
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