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{{KKRachna
|रचनाकार=वीरेन डंगवाल
|संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल
}}
<poem>पेप्पोर रद्दी पेप्पोर<br>पहर अभी बीता ही है<br>पर चौंधा मार रही है धूप<br>खड़े खड़े कुम्हला रहे हैं सजीले अशोक के पेड़<br>उरूज पर आ पहुंचा है बैसाख<br>सुन पड़ती है सड़क से<br>किसी बच्चा कबाड़ी की संगीतमय पुकार<br>गोया एक फरियाद है अजान -सी<br>एक फरियाद है एक फरियाद<br>कुछ थोड़ा और भरती मुझे<br>अवसाद और अकेलेपन से<br/poem>
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