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मृत्यु / रमेश कौशिक
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,
05:55, 24 जून 2010
}}
<poem>
'''मृत्यु'''<br />
एक
क्षण विशेष के लिए
जिन्दगी भर मैं जागा
लेकिन
जब वह आया
तब मैंने अपने को
सोता पाया।
Kaushik mukesh
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