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07:19, 24 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश कौशिक
।संग्रह=समीप और समीप
}}
<poem>
बैरोमीटर
अच्छा !
तुम चढ़ गये हिमालय की चोटी पर
जहाँ वायु का दबाव
बिल्कुल ‘ना’ जैसा
लेकिन अपनी आँख खोल
पल भर तो देखो
पारा
‘चुप’ से
कितना
नीचे
खिसक गया है ?
</poem>