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15:03, 24 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश कौशिक
|संग्रह = मैं यहाँ हूँ / रमेश कौशिक
}}
<poem>
विश्राम
एक पंख सूरज
एक पंख चाँद
बहुत तेज उड़ता है
समय का यान ।
आओ इसके पंखों को काटें
गति दें थाम
हारे-थके जीवन को
करने दें
युग-युग विश्राम।
</poem>