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18:55, 25 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश कौशिक
|संग्रह=हास्य नहीं, व्यंग्य / रमेश कौशिक
}}
<poem>
ये जो आप देख रहें हैं
मरे हुए लोग हैं
कुछ देर पहले
ये डरे हुए लोग थे.
डरे हुए लोग
मर गए इसलिए
कि मरे हुए लोग
डरते नही हैं .
</poem>