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हँसकर तपते रहो / शिशुपाल सिंह 'निर्धन'
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04:18, 27 जून 2010
|रचनाकार= शिशुपाल सिंह 'निर्धन'
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रात-रात भर जब आशा का दीप मचलता है,
अनिल जनविजय
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