Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश कौशिक |संग्रह=चाहते तो... / रमेश कौशिक }} <poem> तु…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश कौशिक
|संग्रह=चाहते तो... / रमेश कौशिक
}}
<poem>
तुम हो
या मैं
हम सब
शहर की बिल्ली हैं
जो सैर को निकली
लेकिन जंगल में
रास्ता भूल गई

शेर से लेकर गीदड़ तक
उसने सभी से रास्ता पूछा
और हरेक ने
रास्ता बताने का आश्वासन दे
उसकी इज्ज़त को लूटा
और अंत में कहा-
रास्ते का पता
हमें भी है कहाँ
</poem>
171
edits