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अज़ीब शख़्स था, आँखों में ख़्वाब छोड़ गया / श्रद्धा जैन
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05:11, 29 जून 2010
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<poem>
अजीब
अज़ीब
शख़्स था, आँखों में ख़्वाब छोड़ गया
वो मेरी मेज़ पे, अपनी किताब छोड़ गया
Shrddha
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