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चौपाल

645 bytes added, 16:25, 3 सितम्बर 2008
Meri kavitaon ka jo page abhi dikh raha hai usme tin char kavitaian chutin hain,jo pahle shamil thin,mera nam bhi aadaha dikh raha hai aur use klik karne per ek kavita dikh rahi hai,kripia ise dekh lenge-Aruna Rai
 
वेणु गोपाल की दो कविताओं खतरे व और सुबह है,में कविताओं के शीर्षक गलत पड गए थे उन्‍हें सुधारने में सुबह है कविता पता नहीं कहंा चली गयीजरा देख लेंगे, हवाएं चुप नही रहतीं में भी और सुबह है कविता शीर्षक के साथ खतरे कविता है इन्‍हें देख लेंगे-कुमार मुकुल