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चौपाल

274 bytes added, 08:15, 22 सितम्बर 2008
वेणु गोपाल की दो कविताओं खतरे व और सुबह है,में कविताओं के शीर्षक गलत पड गए थे उन्‍हें सुधारने में सुबह है कविता पता नहीं कहंा चली गयीजरा देख लेंगे, हवाएं चुप नही रहतीं में भी और सुबह है कविता शीर्षक के साथ खतरे कविता है इन्‍हें देख लेंगे-कुमार मुकुल
 
 
तुम हमारी चोटीओं की बर्फ को यूँ ना कुरेदो
main yeh kavitaa doodhne ka prayatan kar rahi hoon
kya aap mujhe yah kavitaa thisisblairwitch@gmail.com par mail kar sakte hain
main aapki shukragujaar rahoongi
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