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08:18, 29 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रदीप जिलवाने
|संग्रह=
}}
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<poem>
हृदय भर
भावुकता
साँस भर
विकलता
आँख भर
तरलता
मुट्टी भर
भरोसा
घर भर
तनाव
शहर भर
अँधेरा
और दुनियाभर की
संतप्तता साथ लाता है
दुःख कभी
खाली हाथ नहीं आता है।
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