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|रचनाकार=प्रदीप जिलवाने
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उनका दुःख
कि
उन्हें दिखाई नहीं देता

उनका दुःख
कि
उन्हें ही क्यों देता दिखाई।
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उनका दुःख
कि
वे चल नहीं पाते

उनका दुःख
कि
वे कहीं नहीं जाते।
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उनका दुःख
कि
वे थक गये रोते-रोते

उनका दुःख
कि
न आया दुःखड़ा रोते।
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उनका दुःख
कि
वे सुखी नहीं

उनका दुःख
कि
हम दुःखी नहीं।
00
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