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14:14, 29 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कर्णसिंह चौहान
|संग्रह=हिमालय नहीं है वितोशा / कर्णसिंह चौहान
}}
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<poem>
बोरोवेत्स की छत पर
हंसे हम-तुम
लहराया सारा जंगल
लरज उठे चोटी पर चढ़ते तार
मुखर हुए रिला मोनास्तर में
मंत्र
प्रतिध्वनि ने लौटकर
घेरा हमें ।
मन की ढलान पर
सेंत-मेंत
खुले कई आश्रम
जली मोमबत्ती
जोगिया पहन
पहुंचे वृन्दावन
येरुशलम ।
बोरोवेत्स:सोफिया से कुछ दूर बल्गारिया का सबसे ऊँचा खूबसूरत पहाड़।
दिला मोनास्तर:बल्गारिया का सबसे बड़ा पुराना मोनास्तर।
<poem>