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14:21, 29 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कर्णसिंह चौहान
|संग्रह=हिमालय नहीं है वितोशा / कर्णसिंह चौहान
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
सर्द हवा में ठिठुरी
काफी की आखिरी बूंद
गले में उतार
सड़क किनारे सोच रहा
यह
देश जायेगी या घर ?
<poem>