Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> '''समय के समक…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
'''समय के समक्ष ढलान पर मैं'''

भीमकाय समय के कदमों पर
मैं खडा हूं
हां, खडा ही हूं
जमीन कोडता हुआ
और वह बरसों से वहीं खडा है
अपनी हथेलियों पर
भूत, भविष्य और वर्तमान
की तीनों गेंदें
बारी-बारी उछालते हुए
टप- टप टपकाते हुए

और मैं बुरी तरह ढलता जा रहा हूं