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समय के समक्ष ढलान पर मैं / मनोज श्रीवास्तव
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06:51, 30 जून 2010
टप- टप टपकाते हुए
और मैं
हूं कि--
ढलता ही जा रहा हूं
बुरी तरह ढलता जा रहा हूं
Dr. Manoj Srivastav
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