Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कर्णसिंह चौहान |संग्रह=हिमालय नहीं है वितोशा / क…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कर्णसिंह चौहान
|संग्रह=हिमालय नहीं है वितोशा / कर्णसिंह चौहान
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>

तुम्हारी छरहरी देह के
उठते गिरते ढलानों की
लुभावनी माया में
युगों तक खोया हूँ
सोफिया
उस अक्षय को सलाम

देश काल के प्रवाह
मित्रों-परिचितों के ध्वंस निर्माण
रचना कीर्तिमानों से
बेखबर
तुम्हारी जिस गोद में
बरसों निश्चिंत सोया हूँ
सोफिया
उस ममतामय संबल को सलाम

इन वर्षों में
टूटे तमाम दुर्ग
सुंदरतम सपने
धाराशायी भविष्य के
रंग-बिरंगे मानचित्र
युद्ध भूमि से क्षत-विक्षत शिशु को
छाती से चिपका
कितनी सुनसान रातों में
अस्फुट रोया हूँ
सोफिया उस अनकही पीड़ा को सलाम

<poem>
681
edits