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मिट गया जब मिटाने वाला फिर सलाम आया तो क्या आया / दिल शाहजहाँपुरी
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15:06, 1 जुलाई 2010
काश अपनी ज़िन्दगी में हम ये मंज़र देखते
अब सर-ए-तुर्बत कोई महशर-खिराम आया तो क्या आया
[तुर्बत =
tomb
मक़बरा
; महशर =
day of judgement
क़यामत
; खिराम = चलने का तरीका]
सांस उखड़ी आस टूटी छा गया जब रंग-ए-यास
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